बिहार बोर्ड के स्कूलों में अब ऑनलाइन उपस्थिति: एक नया कदम

बिहार शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति को और पारदर्शी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब बिहार बोर्ड के स्कूलों में उपस्थिति दर्ज करने के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इस पहल के तहत, ई-शिक्षाकोष ऐप के माध्यम से शिक्षकों और छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज की जाएगी। इस कदम का उद्देश्य स्कूलों में अनुशासन, जवाबदेही और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है।

ऑनलाइन उपस्थिति की शुरुआत

बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ के निर्देशानुसार, जून 2024 से ई-शिक्षाकोष ऐप पर शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इस ऐप के जरिए शिक्षकों को सुबह 8:30 से 9:00 बजे के बीच स्कूल परिसर से अपनी तस्वीर अपलोड करनी होती है, जो उनकी लोकेशन को ट्रैक करती है। यह सुनिश्चित करता है कि शिक्षक स्कूल में मौजूद हों।

अब इस प्रणाली को और विस्तार देते हुए, 1 मई 2025 से बिहार के 30 स्कूलों में बच्चों की भी ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए स्कूलों को टैबलेट और कंप्यूटर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि तकनीकी बाधाओं को कम किया जा सके। जनवरी 2025 से सभी सरकारी स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति फेशियल रिकग्निशन तकनीक के जरिए दर्ज की जाएगी, जिससे उपस्थिति में हेराफेरी और मिड-डे मील योजनाओं में भ्रष्टाचार को रोका जा सके।

इस पहल के लाभ

पारदर्शिता और जवाबदेही: ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली से शिक्षकों और छात्रों की वास्तविक उपस्थिति का सटीक रिकॉर्ड रखा जा सकेगा। इससे उपस्थिति को बढ़ाने में मदद मिलेगी, जो वर्तमान में प्राथमिक स्कूलों में 20% और उच्च प्राथमिक स्कूलों में 23% के निम्न स्तर पर ह

मिड-डे मील योजना में सुधार: उपस्थिति को फर्जी तरीके से बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की समस्या को कम करने में यह तकनीक कारगर होगी। खासकर, मिड-डे मील के लिए अंडों की लागत को लेकर होने वाली गड़बड़ियों को रोका जा सकेगा।

छात्रवृत्ति और अन्य योजनाओं के लिए पात्रता: बिहार सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे मुख्यमंत्री साइकिल योजना, ड्रेस योजना और छात्रवृत्ति के लिए 75% उपस्थिति अनिवार्य है। ऑनलाइन प्रणाली से यह सुनिश्चित करना आसान होगा कि पात्र छात्रों को ही लाभ मिले।

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार: शिक्षकों की नियमित उपस्थिति और बेहतर कक्षा प्रबंधन से शिक्षण प्रक्रिया में सुधार होगा, जिसका सीधा लाभ छात्रों को मिलेगा।

चुनौतियां और शिक्षकों की चिंताएं

नेटवर्क की समस्या: बिहार के कई क्षेत्रों में खराब मोबाइल नेटवर्क के कारण ऐप का उपयोग मुश्किल है। कुछ शिक्षकों को नेटवर्क के लिए छत पर चढ़ना पड़ता है।

तकनीकी अज्ञानता: कई पुराने शिक्षकों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं, और उन्हें डिजिटल तकनीक का उपयोग करने में कठिनाई हो रही है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार को इसके लिए प्रशिक्षण और उपकरण उपलब्ध कराने चाहिए।

सर्वर की समस्या: सुबह 8:30 से 9:00 बजे के बीच लाखों शिक्षकों द्वारा एक साथ लॉगिन करने से सर्वर डाउन होने की आशंका रहती है।

निष्कर्ष

बिहार बोर्ड के स्कूलों में ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली लागू करना शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है। यह न केवल उपस्थिति को पारदर्शी बनाएगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने और सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग को रोकने में भी मदद करेगा। हालांकि, तकनीकी और बुनियादी ढांचे की चुनौतियों को दूर करना इस पहल की सफलता के लिए जरूरी है। बिहार सरकार का यह प्रयास, अगर सही दिशा में लागू हुआ, तो निश्चित रूप से शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखेगा।

shahunews

Leave a Comment