अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में जब बड़े नेता मिलते हैं तो उनकी हर मुस्कान, हर हैंडशेक दुनिया भर की सुर्खियों में आ जाती है। तियानजिंग में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात भी कुछ ऐसी ही वजह से चर्चा का विषय बनी। दोनों नेताओं की मुस्कुराती तस्वीरें और गर्मजोशी से हाथ मिलाने का अंदाज़ अब भारत की राजनीति में तीखी बहस को जन्म दे रहा है।

Modi-Xi Handshake पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि चीन की ओर से लगातार हो रही शत्रुतापूर्ण गतिविधियों के बावजूद पीएम मोदी ने शी जिनपिंग से बेहद सहजता और आत्मीयता से मुलाकात की। पार्टी का आरोप है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों को नज़रअंदाज़ कर आर्थिक रिश्तों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
Modi-Xi Handshake कांग्रेस का आरोप: आर्थिक रिश्ते बनाम सुरक्षा
कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया है कि जब चीन सीमा पर बार-बार तनाव और उकसावे की कार्रवाई करता है, तब प्रधानमंत्री का इस तरह गर्मजोशी से पेश आना क्या सही संदेश देता है? विपक्ष का मानना है कि यह मुलाकात चीन को यह दिखाती है कि भारत उसके आक्रामक रुख को नज़रअंदाज़ करने के लिए तैयार है।
Modi-Xi Meeting पर जनता की प्रतिक्रिया
मोदी-शी मुलाकात ने सोशल मीडिया पर भी बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। कुछ लोग इसे वैश्विक कूटनीति का हिस्सा मानते हैं, जबकि कुछ का कहना है कि यह मुलाकात राष्ट्रीय स्वाभिमान के साथ समझौते जैसी है। यह बहस अब लोगों के बीच इस सवाल को और तेज कर रही है कि क्या भारत चीन के दबाव में नरमी दिखा रहा है या यह रणनीतिक राजनीति की ज़रूरत है।

कूटनीति और राजनीति का संतुलन
अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में कूटनीति की अहमियत से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन साथ ही यह भी ज़रूरी है कि देश की सुरक्षा और सम्मान से कभी समझौता न हो। मोदी और शी जिनपिंग की इस मुलाकात ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में और भी सावधानी और संतुलन की आवश्यकता है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और राजनीतिक बयानों पर आधारित है। OpenAI इस जानकारी की स्वतंत्र पुष्टि नहीं करता।