Nepal Unrest: TikTok in Nepal Politics
नेपाल इन दिनों बड़े राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। राजधानी काठमांडू में सड़कों पर उतरे हजारों लोग इस बात का सबूत हैं कि जनता अब चुप बैठने को तैयार नहीं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अचानक लगाया गया बैन इस आक्रोश का कारण बना। फेसबुक, एक्स और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स को बंद करने के फैसले ने नागरिकों को गहराई तक आहत किया। लोगों ने नारे लगाए—

“भ्रष्टाचार बंद करो, सोशल मीडिया नहीं।” पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई, जिसमें 21 लोगों की जान चली गई और 250 से ज्यादा घायल हुए। यह घटनाएं जनता के भीतर पहले से simmer हो रहे गुस्से को और भड़का गईं। आखिरकार प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद से इस्तीफा देना पड़ा।
Nepal Unrest and Social Media Ban
नेपाल सरकार का सोशल मीडिया बैन भले ही सिर्फ 24 घंटे के भीतर हटा लिया गया हो, लेकिन इसका असर गहरा रहा। लोगों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला माना। ओली सरकार पहले से ही भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और पुलिस की ज्यादतियों के आरोप झेल रही थी। सोशल मीडिया बैन ने जनता का भरोसा तोड़ने का काम किया और विरोध को हिंसक रूप दे दिया।
Why TikTok in Nepal Was Not Banned
इस पूरे बवाल में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि 26 ऐप्स पर पाबंदी लगी लेकिन TikTok in Nepal को बैन नहीं किया गया। वजह यह है कि TikTok ने नेपाल में अपनी औपचारिक रजिस्ट्रेशन कर ली थी और सरकार के नए कानूनों के मुताबिक स्थानीय संपर्क बिंदु भी स्थापित किया। 2023 में इसी प्लेटफॉर्म पर “सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने” का आरोप लगाकर बैन लगाया गया था।
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लेकिन कंपनी ने बाद में वादा किया कि वह नेपाल के सभी कानूनों का पालन करेगी, जिसमें 2018 का पोर्नोग्राफी पर प्रतिबंध भी शामिल है। यही कारण था कि इस बार TikTok को छूट मिल गई।
Political Power of TikTok in Nepal
आज के समय में TikTok in Nepal सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि युवाओं के लिए राजनीतिक आवाज़ का मंच बन चुका है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) की रिपोर्ट के अनुसार, 16 से 24 वर्ष के युवा TikTok का इस्तेमाल भ्रष्टाचार विरोधी कैंपेन, बदलाव की मांग और यहां तक कि हिंदू राष्ट्र व राजशाही की बहाली जैसे राजनीतिक मुद्दों को उठाने में कर रहे हैं।

इस प्लेटफॉर्म ने युवाओं को एकजुट किया और उन्हें ऐसा मंच दिया, जहां उनकी आवाज़ दबाई नहीं जा सकती। सरकार जानती थी कि TikTok को बैन करना सीधा युवा वर्ग के गुस्से को और बढ़ाना होता, इसलिए इसे बख्श दिया गया।
Youth, TikTok in Nepal and Fall of Government
युवाओं की ताकत को नजरअंदाज करना किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं होता। नेपाल में यह ताकत TikTok के जरिए सामने आई। जब बाकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बंद कर दिए गए, तो TikTok ही वह मंच था, जिसने युवाओं की आवाज़ को जिंदा रखा। यही वजह रही कि जनता के असंतोष ने उबाल लिया और प्रधानमंत्री ओली को सत्ता से हटना पड़ा।
यह घटना इस बात का सबूत है कि अब सोशल मीडिया सिर्फ एक एप्लिकेशन नहीं बल्कि लोकतांत्रिक आवाज़ का आधुनिक रूप है।
डिस्क्लेमर: इस लेख का उद्देश्य केवल जानकारी उपलब्ध कराना है। इसमें वर्णित घटनाएं विभिन्न समाचार स्रोतों और रिपोर्टों पर आधारित हैं। लेखक की व्यक्तिगत राय या किसी राजनीतिक दृष्टिकोण से इसका कोई संबंध नहीं है।