Vishwakarma Puja 2025: यह पूजा 16 या 17 सितंबर कब मनाई जाएगी, जानें तिथि और शुभ समय

By: Subodh Shah

On: Saturday, September 13, 2025 8:30 AM

Vishwakarma Puja 2025: भगवान विश्वकर्मा की पूजा का महत्व, जानें सही तिथि और विधि

Vishwakarma Puja 2025: भगवान विश्वकर्मा की पूजा का महत्व, जानें सही तिथि और विधि

भारत की संस्कृति में हर त्योहार का अपना एक विशेष महत्व है। यही कारण है कि हमारे यहां देवताओं की पूजा केवल धार्मिक भावना से नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू से जुड़ी हुई होती है। इन्हीं में से एक है विश्वकर्मा पूजा, जिसे सृजन, मेहनत और कला का पर्व कहा जाता है।

यह दिन खास तौर पर कारीगरों, शिल्पकारों, इंजीनियरों और उन सभी लोगों के लिए है जो अपने औजारों और मेहनत से जीवन को सुचारु बनाते हैं।

Vishwakarma Puja 2025 Date: कब मनाई जाएगी विश्वकर्मा पूजा?

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Vishwakarma Puja 2025: भगवान विश्वकर्मा की पूजा का महत्व, जानें सही तिथि और विधि

पंचांग के अनुसार Vishwakarma Puja 2025 इस बार 17 सितंबर को मनाई जाएगी। यह तिथि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ रही है। संयोगवश इस दिन कन्या संक्रांति भी है, जिसके कारण इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन सुबह से ही कार्यस्थलों, कारखानों और मशीनों की सफाई कर लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा की तैयारियों में जुट जाते हैं।

Vishwakarma Puja 2025 Significance: क्यों खास है यह पूजा?

हिंदू धर्मग्रंथों में भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार कहा गया है। उन्होंने स्वर्गलोक, इंद्रपुरी, द्वारका नगरी, लंका और यहां तक कि दिव्य अस्त्र-शस्त्रों का भी निर्माण किया। भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र और इंद्र का वज्र भी उन्हीं की कारीगरी का परिणाम है।

इसी वजह से यह पूजा सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मेहनतकश इंसान के परिश्रम और रचनात्मकता का उत्सव भी है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हर काम की जड़ मेहनत है और औजारों व साधनों का सम्मान करना भी जरूरी है।

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Vishwakarma Puja 2025 Rituals: पूजा विधि और परंपरा

सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करने के बाद व्रती संकल्प लेते हैं। इसके बाद कार्यस्थल और मशीनों को अच्छे से साफ किया जाता है। पूजा की वेदी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित कर विशेष पूजन किया जाता है।

पूजा सामग्री में फूल, अक्षत, चंदन, धूप, दीपक और प्रसाद रखा जाता है। सबसे पहले गणेश जी की पूजा कर भगवान विश्वकर्मा को तिलक और पुष्प अर्पित किए जाते हैं। फिर औजारों और मशीनों पर तिलक लगाकर उन पर फूल चढ़ाए जाते हैं। परंपरा के अनुसार इस दिन “ॐ विश्वकर्मणे नमः” मंत्र का जाप करना बेहद शुभ माना जाता है।

पूजा के अंत में आरती की जाती है और प्रसाद को सभी में बांटा जाता है। इस दिन दान करने की भी परंपरा है, क्योंकि माना जाता है कि दान से पुण्य की प्राप्ति होती है और कार्य में सफलता मिलती है।

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Vishwakarma Puja 2025: सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व

आज के समय में जब तकनीक और मशीनों का दायरा तेजी से बढ़ रहा है, तब विश्वकर्मा पूजा का महत्व और भी ज्यादा हो जाता है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि चाहे मशीन कितनी भी आधुनिक क्यों न हो जाए, उसका संचालन और सही उपयोग इंसान की मेहनत और समझ पर ही निर्भर करता है।

सामाजिक दृष्टि से यह पर्व कार्यस्थल पर एकता, अनुशासन और सकारात्मक ऊर्जा फैलाने का प्रतीक है। वहीं, आध्यात्मिक रूप से यह हमें यह संदेश देता है कि हर औजार और मशीन में भी भगवान की शक्ति छिपी है, जिसका सम्मान करना जरूरी है।

Vishwakarma Puja 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि मेहनतकश लोगों की मेहनत और सृजन का सम्मान है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सफलता का आधार हमेशा मेहनत और साधनों के सही उपयोग में छिपा होता है। जो लोग इस दिन श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं, उनके कार्य में उन्नति और समृद्धि बनी रहती है।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं, पंचांग और ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित है। इसे अंतिम सत्य न मानें। किसी भी निर्णय से पहले अपने विवेक और विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

Subodh Shah

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