विश्वकर्मा पूजा 2025 का शुभ पर्व
17 सितंबर
को मनाया जाएगा, यह दिन श्रमिकों और कारीगरों के सम्मान का प्रतीक है।
विश्वकर्मा पूजा 2025 का शुभ पर्व
17 सितंबर
को मनाया जाएगा, यह दिन श्रमिकों और कारीगरों के सम्मान का प्रतीक है।
इस दिन मशीनों, औजारों और उपकरणों की पूजा की जाती है, जिससे कार्यक्षेत्र में सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन मशीनों, औजारों और उपकरणों की पूजा की जाती है, जिससे कार्यक्षेत्र में सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सुबह स्नान के बाद, पूजा स्थल को सजाकर विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति या चित्र के सामने विधिपूर्वक पूजन किया जाता है।
सुबह स्नान के बाद, पूजा स्थल को सजाकर विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति या चित्र के सामने विधिपूर्वक पूजन किया जाता है।
फूल, अक्षत, धूप, दीपक, नारियल और प्रसाद अर्पित कर, ‘ॐ विश्वकर्मणे नमः’ मंत्र से पूजा सम्पन्न की जाती है।
फूल, अक्षत, धूप, दीपक, नारियल और प्रसाद अर्पित कर, ‘ॐ विश्वकर्मणे नमः’ मंत्र से पूजा सम्पन्न की जाती है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व श्रम, परिश्रम और साधनों के सम्मान से जुड़ा है, यह समृद्धि और प्रगति का संदेश देता है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व श्रम, परिश्रम और साधनों के सम्मान से जुड़ा है, यह समृद्धि और प्रगति का संदेश देता है।