Navratri Day 7: माँ कालरात्रि का भयंकर और शक्तिशाली रूप
नवरात्रि के सातवें दिन, यानी Navratri Day 7, भक्तगण माँ दुर्गा के भयंकर रूप, माँ कालरात्रि की पूजा करते हैं। उनका नाम ही उनकी शक्ति और समय पर नियंत्रण को दर्शाता है। ‘काल’ का अर्थ है समय और ‘रात्रि’ का अर्थ है रात।
माँ कालरात्रि वह देवी हैं, जो समय और अंधकार की शक्ति को भी चुनौती देती हैं। उनका भयंकर रूप केवल बुराईयों के लिए है, जबकि उनके भक्त उनके आशीर्वाद से हर संकट और बाधा से मुक्त होते हैं।
माँ कालरात्रि की पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, शुम्भ और निशुम्भ नामक दो राक्षसों ने चंड, मुण्ड और रक्तबीज के साथ त्रिलोक में उत्पात मचाया। देवता और ब्रह्मांड के सभी प्राणी उनसे हार मान चुके थे। तब माँ पार्वती ने माँ चंडी का रूप धारण किया और वीरता से युद्ध करते हुए कई राक्षसों का संहार किया।

चंड और मुण्ड को हराने के बाद भी रक्तबीज के कारण संकट बढ़ा क्योंकि उसके खून की हर बूंद से नया राक्षस उत्पन्न हो जाता था। तब माँ ने कालरात्रि का रूप धारण किया और रक्तबीज का खून पीकर उसकी उत्पत्ति को रोक दिया। अंततः उन्होंने राक्षस का संहार कर ब्रह्मांड में संतुलन स्थापित किया। यही कारण है कि Navratri Day 7 को माँ कालरात्रि को बुराईयों का नाश करने वाली और साहस व शक्ति की देवी माना जाता है।
माँ कालरात्रि की प्रतीकात्मकता
माँ कालरात्रि को काले रंग की त्वचा, अव्यवस्थित बाल और खच्चर पर सवार के रूप में दर्शाया गया है। उनके चार हाथ होते हैं। बाएं हाथ में लोहे का हुक और तलवार होती है, जबकि दाएं हाथ अभय और वरद मुद्रा में रहते हैं।
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उनका भयंकर रूप केवल बुराईयों के लिए है, लेकिन उनके भक्त इस रूप से शक्ति, साहस और सुरक्षा प्राप्त करते हैं। Navratri Day 7 पर उनकी पूजा से जीवन की हर कठिनाई और संकट दूर होते हैं।
माँ कालरात्रि मंत्र
ॐ देवी कालरात्र्यै नम:
Oṃ Devī Kālarātryai Namaḥ
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ll
करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्। कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥
माँ कालरात्रि की पूजा विधि
भक्त अपने शरीर और मन को शुद्ध करके पूजा प्रारंभ करते हैं। पूजा स्थल को साफ करके दीपक और धूपकड़ी जलाते हैं, जिससे वातावरण में शांति और सकारात्मक ऊर्जा फैलती है।
फूल, फल, भोग और कुमकुम अर्पित करके भक्त माँ कालरात्रि का ध्यान करते हैं। इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ और कालरात्रि मंत्र का जप किया जाता है। पूजा का समापन आरती के साथ होता है, जिसमें भक्त देवी से शक्ति, साहस और मार्गदर्शन की कामना करते हैं।
Navratri Day 7 की पूजा में भक्त यह विश्वास रखते हैं कि माँ कालरात्रि उनके जीवन की हर बुरी शक्ति को दूर कर सकती हैं और उन्हें मानसिक और शारीरिक मजबूती प्रदान करती हैं।
माँ कालरात्रि का संदेश
माँ कालरात्रि हमें सिखाती हैं कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना साहस, विश्वास और धैर्य के साथ करना चाहिए। जैसे उन्होंने अपने भयंकर रूप में राक्षसों का संहार किया, वैसे ही हम भी जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। अगर आप जीवन में किसी परेशानी या बाधा से जूझ रहे हैं, तो Navratri Day 7 पर माँ कालरात्रि के आशीर्वाद से शक्ति, साहस और आत्मविश्वास प्राप्त कर सकते हैं।

Q&A: Navratri Day 7 – Maa Kalratri
Q1: Navratri Day 7 पर कौन सी देवी की पूजा होती है?
A1: Navratri Day 7 पर माँ दुर्गा के भयंकर रूप, माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। उन्हें बुराईयों का नाश करने वाली देवी माना जाता है।
Q2: Maa Kalratri का नाम क्यों रखा गया?
A2: ‘काल’ का अर्थ है समय और ‘रात्रि’ का अर्थ है रात। माँ कालरात्रि वह देवी हैं जो समय और अंधकार की शक्ति को भी चुनौती देती हैं। उनका भयंकर रूप केवल बुराईयों के लिए है।
Q3: Maa Kalratri की पूजा विधि क्या है?
A3: पूजा के लिए शरीर और मन को शुद्ध करके दीपक और धूपकड़ी जलाना चाहिए। फूल, फल, भोग और कुमकुम अर्पित करें, दुर्गा चालीसा का पाठ करें और कालरात्रि मंत्र का जप करें। पूजा का समापन आरती के साथ करें।
Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी और धार्मिक संदर्भ के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई कथाएँ भक्तिभाव पर आधारित हैं और किसी वैज्ञानिक सत्य की गारंटी नहीं देतीं।