Karva Chauth—एक ऐसा शब्द जो हर सुहागिन के दिल में प्यार, आस्था और समर्पण की भावना जगा देता है। सालभर इस दिन का इंतजार करने वाली महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
इस बार का Karva Chauth 2025 बेहद खास है, क्योंकि इसका संबंध भगवान कृष्ण और सत्यभामा के मिलन से जुड़ा हुआ है। इस संयोग को ज्योतिष शास्त्र में “अमर सुहाग योग” कहा गया है, जो वैवाहिक जीवन में स्थिरता और सुख का प्रतीक है।
कब है Karva Chauth 2025 और कब निकलेगा चांद?
इस वर्ष Karva Chauth का पावन पर्व शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2025 को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में रात 8 बजकर 25 मिनट पर उदित होंगे। यही समय व्रत खोलने का सबसे शुभ क्षण माना गया है।

सूर्योदय सुबह 6:18 बजे होगा, इसलिए सरगी का सेवन महिलाएं लगभग सुबह 4 बजे तक कर सकती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चांदी के बर्तन में सरगी खाना अत्यंत शुभ होता है और यह दिनभर की ऊर्जा बनाए रखता है।
करवाचौथ का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिषाचार्य कौशल वत्स के अनुसार, इस बार के Karva Chauth में एक शक्तिशाली खगोलीय संयोग बन रहा है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में रहकर चित्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, जिसका स्वामी मंगल ग्रह है। मंगल ग्रह शक्ति, पराक्रम और साहस का प्रतीक माना जाता है।
वहीं चंद्रमा वृषभ राशि में रहेंगे, जो उनकी उच्च राशि है। इस योग को बेहद शुभ माना गया है, क्योंकि इस दिन की गई पूजा से पति-पत्नी के रिश्तों में मजबूती, सौभाग्य की वृद्धि और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
करवाचौथ की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
करवाचौथ का व्रत सिर्फ एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि भावनाओं और समर्पण से भरा एक आध्यात्मिक अनुभव है। इस दिन का हर पल प्रेम और आस्था से जुड़ा होता है। नीचे दी गई विधि के अनुसार पूजा करने से सौभाग्य दोगुना होता है —
पूजा विधि और शुभ मुहूर्त (Steps):
- सूर्योदय से पहले उठें: सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और सास द्वारा दी गई सरगी ग्रहण करें। यह मां के आशीर्वाद का प्रतीक होती है।
- व्रत का संकल्प लें: भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और करवा माता की आराधना करें। निर्जला व्रत का संकल्प लेकर मन में शुभ विचार रखें।
- दिनभर व्रत रखें: जल या अन्न ग्रहण न करें। अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए मन में प्रार्थना करें।
- शाम की पूजा:
- पूजन मुहूर्त: दोपहर 3:20 बजे से 4:50 बजे तक।
- विशेष योग: शाम 5:56 से 7:10 बजे तक रहेगा।
- चांद निकलने का समय:रात 8:25 बजे चांद उदित होंगे।
- चंद्र दर्शन से पहले करवा माता, शिव-पार्वती और गणेश जी की पूजा करें।
- छलनी में दीपक रखकर चांद को देखें, फिर उसी छलनी से अपने पति का चेहरा निहारें।
- पति के हाथ से जल पीकर व्रत का पारण करें।

क्यों है इस बार का करवाचौथ इतना विशेष?
इस साल का Karva Chauth सिर्फ व्रत का नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक ऊर्जा के जागरण का दिन है। जब चंद्रमा वृषभ राशि में होंगे, तब वही संयोग बनेगा जो भगवान कृष्ण और सत्यभामा के मिलन के समय बना था। यही कारण है कि इसे “अमर सुहाग योग” कहा गया है।
इस दिन लाल, नारंगी या सुनहरे रंग के वस्त्र पहनना अत्यंत शुभ माना गया है। ये रंग प्रेम, शक्ति और समर्पण का प्रतीक हैं। माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई प्रार्थना हर रिश्ते में मिठास घोल देती है और जीवन में असीम सौभाग्य लाती है।
करवाचौथ का असली संदेश
Karva Chauth सिर्फ एक दिन का उपवास नहीं, बल्कि प्रेम और निष्ठा का त्योहार है। यह हमें सिखाता है कि सच्चा प्यार त्याग, विश्वास और आस्था पर टिका होता है। एक पत्नी का यह समर्पण न केवल वैवाहिक बंधन को मजबूत करता है, बल्कि परिवार में शांति और सौहार्द का प्रतीक बन जाता है।
Disclaimer:
यह लेख धार्मिक मान्यताओं, ज्योतिषीय गणनाओं और परंपरागत विश्वासों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है। कृपया अपनी व्यक्तिगत श्रद्धा और पारिवारिक परंपराओं के अनुसार ही पालन करें।
यह भी पढ़ें: Tecno Pova Slim 5G: भारत का सबसे पतला और शक्तिशाली 5G स्मार्टफोन ₹19,999 में!