करवाचौथ 2025 शुक्रवार, 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। व्रत सुबह 6:19 बजे से रात 8:13 बजे तक रहेगा।
करवाचौथ 2025 शुक्रवार, 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। व्रत सुबह 6:19 बजे से रात 8:13 बजे तक रहेगा।
चंद्रमा का उदय 8:13 बजे होगा। व्रति चंद्र दर्शन कर व्रत खोलती हैं, परंपरा अनुसार।
चंद्रमा का उदय 8:13 बजे होगा। व्रति चंद्र दर्शन कर व्रत खोलती हैं, परंपरा अनुसार।
पूजा मुहूर्त सुबह 5:57 से 7:11 बजे तक शुभ है। इस दौरान पूजा करने से व्रत पूर्ण माना जाता है।
पूजा मुहूर्त सुबह 5:57 से 7:11 बजे तक शुभ है। इस दौरान पूजा करने से व्रत पूर्ण माना जाता है।
सोलह श्रृंगार करवाचौथ में सौभाग्य और मंगलता का प्रतीक हैं। हर श्रृंगार में भक्तिभाव और शांति का समावेश।
सोलह श्रृंगार करवाचौथ में सौभाग्य और मंगलता का प्रतीक हैं। हर श्रृंगार में भक्तिभाव और शांति का समावेश।
व्रत के दिन चंद्रमा वृष राशि में होंगे। उनका पूजन मानसिक शांति और सौभाग्य प्रदान करता है।
व्रत के दिन चंद्रमा वृष राशि में होंगे। उनका पूजन मानसिक शांति और सौभाग्य प्रदान करता है।
सूर्योदय से पहले सर्गी लेने से उपवास सहज और ऊर्जावान बनता है। यह व्रति को पूरे दिन ताजगी देता है।
सूर्योदय से पहले सर्गी लेने से उपवास सहज और ऊर्जावान बनता है। यह व्रति को पूरे दिन ताजगी देता है।
पूजा थाली में दीपक, फूल, सिंदूर, चूड़ियाँ, मिठाई और फल रखें। यह सभी वस्तुएँ पूजा को पूर्ण बनाती हैं।
पूजा थाली में दीपक, फूल, सिंदूर, चूड़ियाँ, मिठाई और फल रखें। यह सभी वस्तुएँ पूजा को पूर्ण बनाती हैं।
व्रत के दौरान ध्यान और प्राणायाम करने से मानसिक शांति रहती है। यह व्रत की शक्ति और प्रभाव बढ़ाता है।
व्रत के दौरान ध्यान और प्राणायाम करने से मानसिक शांति रहती है। यह व्रत की शक्ति और प्रभाव बढ़ाता है।
सामूहिक पूजा में भाग लेने से सामाजिक एकता बढ़ती है और परंपरा का पालन करने का अनुभव मिलता है।
सामूहिक पूजा में भाग लेने से सामाजिक एकता बढ़ती है और परंपरा का पालन करने का अनुभव मिलता है।
करवाचौथ व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूती और प्यार का प्रतीक बनाता है।
करवाचौथ व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूती और प्यार का प्रतीक बनाता है।