भारत की मिट्टी में अगर कोई त्योहार आत्मा से जुड़ा है तो वह है छठ पूजा। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का प्रतीक है। चार दिनों तक चलने वाला यह व्रत संयम, शुद्धता और भक्ति का अद्भुत संगम है।
हर साल लाखों श्रद्धालु घाटों पर जाकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। पर बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं — छठ पूजा कैसे मनाते हैं (Chhath Puja Kaise Manate Hain)? चलिए जानते हैं इसकी पूरी विधि विस्तार से।
छठ पूजा 2025 की तिथि और शुभ संयोग
इस साल Chhath Puja 2025 की शुरुआत 25 अक्टूबर 2025 (शनिवार) से नहाय-खाय के साथ होगी।
26 अक्टूबर को होगा खरना,
27 अक्टूबर को संध्याकालीन अर्घ्य,
और 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को प्रातः अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाएगा।

यह चार दिनों का पर्व सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि आत्मिक अनुशासन और परिवार की एकता का उत्सव है।
छठ पूजा कैसे मनाते हैं (Chhath Puja Kaise Manate Hain)
अब जानते हैं कि chhath puja kaise manate hain, इसकी विधि क्या है और हर दिन का क्या महत्व है —
1. नहाय-खाय (पहला दिन)
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। व्रती महिला या पुरुष नदी या तालाब में स्नान कर शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन घर में पवित्रता और स्वच्छता बनाए रखना अत्यंत जरूरी माना जाता है।
2. खरना (दूसरा दिन)
दूसरे दिन का नाम है खरना। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को चावल, गुड़ और दूध से बनी खीर छठी मैया को अर्पित करते हैं। पूजा के बाद यही प्रसाद परिवार और आस-पड़ोस में बांटा जाता है।
3. संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन)
तीसरे दिन व्रती नदी या तालाब के किनारे पहुंचकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह क्षण अत्यंत भावनात्मक होता है, जब पूरा वातावरण “छठ मइया” के गीतों से गूंज उठता है।
4. प्रातः अर्घ्य (चौथा दिन)
अंतिम दिन उगते सूर्य को जल अर्पित किया जाता है। यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसके बाद व्रती पारण करती हैं और व्रत का समापन होता है।
यही पारंपरिक तरीका है जिससे लोग पीढ़ियों से chhath puja kaise manate hain।
छठ पूजा की पूजन सामग्रियां
छठ पूजा में प्रयोग की जाने वाली प्रमुख सामग्रियां —
- बांस की टोकरी या सूप
- गन्ना, नारियल, पान-सुपारी
- कलश, दीपक, अक्षत
- मौसमी फल, गुड़, चावल
- अदरक का पौधा और सिंदूर
इन वस्तुओं को व्रती पूर्ण श्रद्धा और शुद्धता के साथ उपयोग करते हैं।

छठ पूजा का महत्व और आध्यात्मिक अर्थ
छठ पूजा केवल एक व्रत नहीं, बल्कि यह प्रकृति और सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता का उत्सव है। ऐसा विश्वास है कि इस व्रत से जीवन में सुख, शांति और संतान की दीर्घायु प्राप्त होती है।
जो व्यक्ति पूरे मन और भक्ति से यह व्रत करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
यही कारण है कि हर कोई जानना चाहता है — छठ पूजा कैसे मनाते हैं (Chhath Puja Kaise Manate Hain), क्योंकि इसमें प्रेम, अनुशासन और समर्पण का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।
भक्ति, संयम और त्याग का पर्व
छठ पूजा का सबसे बड़ा संदेश है — “शुद्ध मन ही सच्ची पूजा है।”
व्रती निर्जला उपवास रखते हैं, सूर्य की उपासना करते हैं और परिवार व समाज की भलाई की कामना करते हैं। जब उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, तो हर चेहरे पर एक दिव्य संतोष झलकता है — यही असली उत्तर है कि chhath puja kaise manate hain।
Disclaimer:
यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पारंपरिक आस्थाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सांस्कृतिक जानकारी और श्रद्धा को साझा करना है। किसी भी व्यक्तिगत पूजा विधि से पहले अपने स्थानीय पंडित या धार्मिक गुरु से परामर्श लें।
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