छठ पूजा का नाम लेते ही मन में भक्ति, आस्था और पवित्रता की लहर दौड़ जाती है। यह पर्व न सिर्फ सूर्य उपासना का प्रतीक है, बल्कि शुद्धता और समर्पण की भावना से भी जुड़ा हुआ है। बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में छठ पर्व बड़े उत्साह और नियमों के साथ मनाया जाता है।
इस पावन पर्व का दूसरा दिन Chhath Puja Kharna कहलाता है, जो व्रती के जीवन का सबसे अहम और भावनात्मक क्षण होता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को विशेष प्रसाद बनाकर छठी मैया और सूर्य देव की पूजा करते हैं।
Chhath Puja Kharna 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त
इस साल Chhath Puja Kharna का पवित्र दिन 26 अक्तूबर 2025, रविवार को मनाया जा रहा है। पंचांग के अनुसार, सूर्योदय सुबह 6:29 बजे और सूर्यास्त शाम 5:41 बजे होगा।

व्रती सूर्यास्त के बाद Chhath Puja Kharna की पूजा करते हैं और इसी समय महाप्रसाद अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ मुहूर्त में की गई पूजा से सूर्य देव और छठी मैया की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।
Chhath Puja Kharna का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
Chhath Puja Kharna का दिन आत्मसंयम, शुद्धता और भक्ति का प्रतीक है। इस दिन व्रती सुबह स्नान कर पूरे दिन जल तक ग्रहण नहीं करते। उनका यह उपवास न केवल शरीर की शुद्धि के लिए होता है बल्कि आत्मा को भी शुद्ध करता है।
मान्यता है कि इस दिन की गई सच्ची श्रद्धा से सूर्य देव और छठी मैया प्रसन्न होकर व्रती और उनके परिवार को सुख, समृद्धि और आरोग्य का वरदान देते हैं। खरना का यह उपवास तप और विश्वास का संगम माना जाता है।
खरना की विधि और प्रसाद बनाने की परंपरा
शाम के समय व्रती स्नान कर साफ वस्त्र धारण करते हैं और पूजा स्थल को सुसज्जित करते हैं। मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से प्रसाद बनाया जाता है, जिसमें गुड़, चावल और दूध से बनी रसिया (खीर) और गेहूं की रोटी शामिल होती है। प्रसाद को पीतल या कांसे के बर्तनों में बनाया जाता है ताकि पवित्रता बनी रहे।
पहले यह प्रसाद छठी मैया और सूर्य देव को अर्पित किया जाता है, फिर व्रती और परिवारजन इसे ग्रहण करते हैं। इसी के साथ उनका निर्जला व्रत समाप्त होता है और फिर अगले दिन से 36 घंटे का कठोर उपवास आरंभ होता है, जो उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूरा होता है।

Chhath Puja Kharna का भावनात्मक पहलू
Chhath Puja Kharna केवल एक धार्मिक विधि नहीं, बल्कि आत्मिक संतुलन और भक्ति का अनुभव है। जब व्रती सूर्यास्त के समय दीपक जलाकर आकाश की ओर देखते हैं, तो पूरा वातावरण एक दिव्य ऊर्जा से भर जाता है।
इस क्षण में मनुष्य और प्रकृति का गहरा संबंध महसूस होता है — जैसे भक्ति स्वयं आकाश से उतरकर पृथ्वी को पवित्र कर रही हो।
छठ पूजा का संदेश – श्रद्धा, शुद्धता और समर्पण
छठ पूजा हमें यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति केवल विधि से नहीं, भावना से पूरी होती है। Chhath Puja Kharna का यह दिन हर व्रती के लिए त्याग, संयम और आत्मबल की परीक्षा है। यह त्योहार न केवल धार्मिक रूप से महान है, बल्कि इसमें मानवता और पर्यावरण के प्रति सम्मान भी झलकता है।
निष्कर्ष:
Chhath Puja Kharna व्रती के जीवन का वह दिन है जब आत्मा, आस्था और अनुशासन का संगम होता है। इस दिन की पूजा न केवल परिवार की सुख-समृद्धि लाती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार करती है।
अस्वीकरण (Disclaimer):
यह लेख सामान्य धार्मिक मान्यताओं, पंचांग और परंपराओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है। दी गई जानकारी की सटीकता या पूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक उत्तरदायी नहीं हैं।
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