Govardhan Puja हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और भावनात्मक पर्व है, जो दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर वृंदावनवासियों की रक्षा करने की स्मृति में मनाया जाता है।
इसे अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान को विविध प्रकार के 56 भोग अर्पित किए जाते हैं।इस वर्ष Govardhan Puja 22 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी। इस शुभ दिन पर श्रद्धालु घर और मंदिरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा करते हैं।
अगर आप भी भगवान श्रीकृष्ण की कृपा पाना चाहते हैं, तो पहले से पूजा की तैयारी शुरू कर दें ताकि पूजन के समय किसी वस्तु की कमी न हो।

Govardhan Puja के लिए जरूरी सामग्री (पूरी लिस्ट नोट कर लें)
मुख्य पूजन सामग्री:
- गोबर: गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक आकार बनाने के लिए।
- मिट्टी के दीपक (दीये): पूजन और दीपदान के लिए।
- घी: दीपक जलाने और हवन में प्रयोग हेतु।
- रुई या बाती: दीपक के लिए आवश्यक सामग्री।
- गंगाजल या शुद्ध जल: पवित्रता और आचमन के लिए।
- आम के पत्ते: कलश सजाने के लिए।
- नारियल: कलश पर स्थापित करने के लिए।
- सुपारी: पूजन और कलश में उपयोग हेतु।
- सिक्के या मुद्रा: मां लक्ष्मी के प्रतीक के रूप में।
अन्नकूट एवं भोग सामग्री:
- चावल, गेहूं, गुड़, मिश्री, घी, दूध, दही — अन्नकूट भोग के लिए।
- फल (केला, सेब, अनार) — भगवान को अर्पण हेतु।
- सूखे मेवे (काजू, बादाम, किशमिश) — भोग की सजावट में।
- मिठाइयां (लड्डू, पेड़ा, खीर आदि) — विशेष भोग के रूप में।
- 56 भोग की सामग्री: जितनी संभव हो उतनी विविधता के साथ तैयार करें।
पूजन स्थल के लिए आवश्यक वस्तुएं:
- लाल कपड़ा: पूजन स्थान पर बिछाने के लिए।
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर): अभिषेक के लिए।
- कपूर: आरती में उपयोग के लिए।
- अगरबत्ती या धूपबत्ती: वातावरण को पवित्र बनाने के लिए।
- फूल और पुष्पमाला: विशेष रूप से गेंदे और तुलसी पत्र।
- रोली, हल्दी और अक्षत: पूजन की प्रमुख सामग्री।
- पान के पत्ते और लौंग: आरती और अर्पण के लिए।
- घंटा या घंटी: पूजन के समय बजाने के लिए।
सजावट और दीपदान सामग्री:
- रंगोली के रंग या फूलों की पंखुड़ियां: सजावट के लिए।
- मिट्टी या धातु के दीपक (कम से कम 21): दीपदान हेतु।
- दीपदान थाली: सुंदर रूप से सजी हुई।
- बंदनवार या तोरण: दरवाजे और दीवारों की सजावट के लिए।
अन्य आवश्यक वस्तुएं:
- गाय के लिए चारा: गोमाता की पूजा हेतु।
- मिठाई और भोग का थाल।
- साफ जल, आसन और पूजन की थाली।

Govardhan Puja
अन्नकूट महोत्सव और 56 भोग की परंपरा
Govardhan Puja का सबसे खास आकर्षण है “अन्नकूट भोग”, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण को 56 प्रकार के व्यंजन अर्पित किए जाते हैं। कहा जाता है कि जिस घर में यह भोग श्रद्धा और प्रेम से लगाया जाता है, वहां सदैव अन्न और समृद्धि बनी रहती है। यह भोग केवल एक प्रसाद नहीं बल्कि भगवान के प्रति कृतज्ञता का भाव है।
सजावट, आरती और पूजा विधि
Govardhan Puja के दिन घर को फूलों, दीयों और रंगोली से सजाया जाता है। पूजा के समय परिवार के सभी सदस्य एकत्र होकर आरती करते हैं और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं।
शाम को दीपक जलाकर कपूर और धूप से भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें। यह क्षण मन को अत्यंत शांति और भक्ति से भर देता है।
Govardhan Puja: श्रद्धा और सादगी का सुंदर संगम
Govardhan Puja का संदेश है कि सच्ची भक्ति दिखावे में नहीं, बल्कि मन की सच्चाई में होती है। चाहे पूजा कितनी भी सादगी से करें, अगर भावनाएं शुद्ध हैं, तो भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है।
इस दिन सुबह स्नान कर शुद्ध स्थान पर गोबर से गोवर्धन पर्वत का आकार बनाएं, तुलसी पत्र अर्पित करें और सच्चे मन से भगवान से समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना करें।
निष्कर्ष
Govardhan Puja केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह हमें प्रकृति, अन्न और गोमाता के प्रति सम्मान का संदेश देता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जब हम कृतज्ञता और प्रेम से प्रकृति की आराधना करते हैं, तो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि अपने आप आती है।
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