नेपाल के ‘Nepal Nepo Kids’ विवाद ने क्यों भड़काई युवाओं की क्रांति?
नेपाल आज ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां राजनीति और समाज दोनों गहरे संकट में हैं। हाल के दिनों में जिस मुद्दे ने सबसे ज़्यादा आग लगाई, वह है नेताओं के बच्चों की ऐशो-आराम भरी ज़िंदगी। इन्हें सोशल मीडिया पर लोग ‘Nepal Nepo Kids’ कहकर पुकार रहे हैं।
जिस समय देश के आम युवा बेरोज़गारी, पलायन और गरीबी से जूझ रहे हैं, उसी समय इन नेताओं के बेटे-बेटियाँ विदेशों में छुट्टियाँ मनाते और लग्ज़री कारों में घूमते दिखाई देते हैं। यही तस्वीरें गुस्से की चिंगारी बनीं और देखते-ही-देखते एक आंदोलन ने पूरे नेपाल को हिला दिया।

Nepal Nepo Kids और आम युवाओं का दर्द
नेपाल के युवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती नौकरी की कमी है। विश्व बैंक के अनुसार, बीते साल युवाओं की बेरोज़गारी दर लगभग 20 प्रतिशत रही। रोज़ाना करीब 2,000 युवा रोज़गार की तलाश में खाड़ी देशों या दक्षिण-पूर्व एशिया का रुख करते हैं। दूसरी ओर, नेताओं के बच्चे महंगे कपड़े, विदेश यात्राएँ और राजनीतिक अवसर आसानी से पाते नज़र आते हैं। यही तुलना युवाओं के दिल में असमानता और अन्याय की भावना को गहराती है।
सोशल मीडिया बैन और Nepal Nepo Kids आक्रोश
विरोध का असली विस्फोट तब हुआ जब सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन लगाने की कोशिश की। फेसबुक, यूट्यूब और कई अन्य प्लेटफ़ॉर्म को यह कहकर ब्लॉक किया गया कि वे नियमों का पालन नहीं कर रहे। लेकिन जनता का मानना था कि यह कदम आलोचना को दबाने और युवाओं की आवाज़ बंद करने की साज़िश है। नतीजा यह हुआ कि हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए और उनके हाथों में तख्तियाँ थीं—“भ्रष्टाचार बंद करो, सोशल मीडिया नहीं।”
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हिंसा और तबाही में बदलता Nepal Nepo Kids आंदोलन
शुरुआत में शांतिपूर्ण प्रदर्शन जल्द ही हिंसा में बदल गए। संसद भवन, राष्ट्रपति आवास और प्रधानमंत्री का घर तक आग की लपटों में घिर गए। नेपाल का सबसे बड़ा मीडिया संस्थान ‘कांतिपुर पब्लिकेशन’ भी आग से नहीं बच पाया।
पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के घर पर हमला हुआ, जिसमें उनकी पत्नी की मौत हो गई। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी खून से लथपथ नज़र आए। यह दृश्य पूरे देश के लिए गहरे सदमे जैसा था।

सत्ता का पतन और Nepal Nepo Kids का असर
लगातार बढ़ते गुस्से और हिंसा के बीच प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। उनका निजी घर भी भीड़ ने आग के हवाले कर दिया। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और अन्य वरिष्ठ नेताओं की संपत्तियाँ भी सुरक्षित नहीं रह पाईं। यह घटनाएँ सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं हैं, बल्कि इस बात का सबूत भी हैं कि युवाओं का धैर्य अब खत्म हो रहा है।
भविष्य की राह और Nepal Nepo Kids विवाद का संदेश
आज नेपाल के हालात केवल राजनीतिक अस्थिरता का संकेत नहीं देते, बल्कि यह गहरी सामाजिक खाई को भी उजागर करते हैं। ‘Nepal Nepo Kids’ अब एक प्रतीक बन चुके हैं—भ्रष्टाचार, असमानता और विशेषाधिकार का प्रतीक। युवाओं की यह क्रांति साफ़ बताती है कि आने वाले समय में पुरानी राजनीति की दीवारें टूट सकती हैं और एक नई पीढ़ी सत्ता और समाज को नए ढंग से परिभाषित करेगी।
डिस्क्लेमर: यह लेख उपलब्ध समाचार स्रोतों और रिपोर्टों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना है। इसमें दी गई बातें किसी भी प्रकार के राजनीतिक समर्थन या विरोध को व्यक्त नहीं करतीं।