Vice President of India: सी.पी. राधाकृष्णन की ऐतिहासिक जीत
भारतीय लोकतंत्र में मंगलवार का दिन बेहद खास रहा जब संसद भवन में हुए मतदान से देश को नया उपराष्ट्रपति मिल गया। एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन ने विपक्ष के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर 15वें Vice President of India बनने का गौरव हासिल किया।

चुनाव में कुल 781 सांसदों में से 767 ने अपने मत डाले। इनमें से 752 मत वैध पाए गए, जबकि 15 मत रद्द हो गए। नतीजों में राधाकृष्णन को 452 वोट मिले और रेड्डी को 300 वोट। इस तरह आवश्यक 377 मतों से कहीं अधिक पाकर राधाकृष्णन ने जीत की मजबूत मुहर लगा दी।
Vice President of India Election और विपक्ष की उम्मीदें
शुरुआत से ही यह साफ था कि संख्याबल एनडीए के पक्ष में है, इसलिए राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही थी। इसके बावजूद चुनाव का रोमांच इस वजह से बना रहा क्योंकि उपराष्ट्रपति का चुनाव गुप्त मतदान से होता है और इसमें पार्टी व्हिप लागू नहीं होता।
विपक्ष को यही उम्मीद थी कि कुछ सांसद “अंतरात्मा की आवाज़” सुनकर उनके पक्ष में वोट डाल सकते हैं। विपक्ष ने तेलुगु कार्ड खेलकर यह रणनीति बनाई कि एनडीए खेमे में सेंध लगाई जा सके, लेकिन परिणाम पूरी तरह उलटे निकले।
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Vice President of India और क्रॉस वोटिंग की हकीकत
मतदान परिणामों ने यह साफ कर दिया कि विपक्ष की रणनीति कारगर साबित नहीं हुई। उल्टा, कुछ विपक्षी सांसदों ने ही क्रॉस वोटिंग कर एनडीए उम्मीदवार को समर्थन दिया। भाजपा नेताओं का दावा है कि कम से कम 15 विपक्षी सांसदों ने राधाकृष्णन के पक्ष में वोट किया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे लोकतंत्र का सकारात्मक संकेत बताते हुए कहा कि कई विपक्षी दल भी एनडीए उम्मीदवार के समर्थन में आए।
Vice President of India Polls में विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष ने हार के बावजूद खुद को मजबूत दिखाने की कोशिश की। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मतदान से पहले दावा किया था कि INDIA गठबंधन के सभी 315 सांसद मौजूद रहे और यह विपक्ष की एकता का प्रतीक है। वहीं कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि इस बार विपक्षी उम्मीदवार को 40% वोट मिले, जबकि पिछली बार केवल 26% मिले थे। उनका कहना था कि धीरे-धीरे विपक्ष की ताकत बढ़ रही है और यह बदलाव भविष्य में और बड़ा रूप लेगा।
Vice President of India के रूप में राधाकृष्णन की भूमिका

सी.पी. राधाकृष्णन की जीत एनडीए की राजनीतिक ताकत का प्रमाण है। अब नए Vice President of India के रूप में वे राज्यसभा के सभापति की भूमिका निभाएंगे और उच्च सदन की कार्यवाही को संभालेंगे।
उनकी जीत यह भी दर्शाती है कि विपक्ष की एकता अभी कमजोर है और उसे आने वाले चुनावों के लिए और मजबूत रणनीति बनाने की ज़रूरत है। यह चुनाव लोकतंत्र की उस सच्चाई को उजागर करता है कि संख्याबल और एकजुटता ही किसी भी दल की सबसे बड़ी ताकत होती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें वर्णित तथ्य विभिन्न समाचार स्रोतों और रिपोर्टों पर आधारित हैं। लेखक की व्यक्तिगत राय या किसी राजनीतिक दल से इसका कोई संबंध नहीं है।